इंसान का असली चरित्र सामने तब आता हैं,
जब वो नशे में होता हैं,
नशा चाहे पैसे का हो,
रूप का हो, या शराब का…
टेंशन, डिप्रेशन और बेचैन इंसान
तभी होता है जब वह खुद के
लिए कम दूसरों के लिए
ज्यादा सोचता है।
“पैसा” कम हो, तो दिनभर परेशान रहोगे,
ज्यादा हो तो रात भर..
सबकी जरूरत में नंगे पांव दौड़े हम,
हमारी बारी में सबकी
‘तबियत’ खराब हो गई..!!
अपनी सेहत से प्रेम कीजिए वरना
आप किसी से भी प्रेम करने
लायक नहीं रहेंगे..
“एक सपने के टूटकर चकनाचूर
हो जाने के बाद…
दूसरा सपना देखने के हौसले को
ज़िंदगी कहते हैं”
“कहने का ढंग ज़रूरी है,
ढंग से कहने के लिए।”
“ज़िंदगी के इम्तिहान में
पेपर कभी रद्द नहीं होते हैं”
ज़िंदगी के दो पड़ाव
– अभी उम्र नहीं है,
– अब” उम्र नहीं है!
“सुख का लालच ही
नए दुख को जन्म देता है।”
“सब लोग यही बोलते हैं कि दुनिया मतलबी है..
ये कोई नहीं बोलता कि मैं भी मतलबी हूं..!!”
जो तुम्हें अनदेखा करे
तुम उसे पहचानने से
इंकार करदो